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नाक के बढे हुए मांस का इलाज कैसे करे, Naak me Maas ka Badhna, Nasal Polyps Treatment in Hindi

नमस्ते दोस्तों, मैं डॉक्टर दिवान शुगुप्ता, डायडों के संस्थापक, आपके सामने हूँ। आज के वीडियो में, हम बात करेंगे नाक में मांसपेशियों के बढ़ जाने की समस्या के बारे में। इस नाक के मांसपेशियों को डॉक्टरी भाषा में ‘नेजल पॉलिप’ कहा जाता है। हम इस वीडियो में जानेंगे कि इस नाक के मांसपेशियों के बढ़ जाने के क्या कारण होते हैं, इसके लक्षण, इसकी जाँच कैसे की जाती है, और इसका इलाज कैसे होता है। तो चलिए, हम शुरू करते हैं।

दोस्तों, एक अच्छी खबर है कि ये नाक के मांसपेशियों की समस्या अक्सर गैरकैंसरी होती है, यानि इसमें कभी भी कैंसर नहीं पाया जाता, और इसका इलाज बड़ी आसानी से किया जा सकता है। मैं आपको इस वीडियो में इसका इलाज आसान भाषा में बताऊंगा।

यह नाक के मांसपेशियों की समस्या पुरुषों में अधिक होती है और कुछ लोगों में यह एक नथुन में होती है, जबकि कुछ लोगों में यह दोनों नथुनों में हो सकती है। धीरे-धीरे इस नाक के मांसपेशियों का आकार बढ़ने लगता है, और यह नाक के अंदर की खाली जगह को ब्लॉक करने लगता है, जिसके कारण मरीज को सिम्टम या लक्षण आने लगते हैं।

इस नाक के मांसपेशियों के नेजल पॉलिप के कारण आने वाले लक्षण हैं कि यह मरीज के नाक को ब्लॉक कर देता है। कभी-कभी होता है कि जब दोनों नथुनों में होता है, तो यह दोनों तरफ की नाक को ब्लॉक कर देता है, और मरीज को सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है।

इसके अलावा, सांस में तकलीफ के कारण मरीज अच्छे से सो नहीं पाता है, और कभी-कभी उसे ऐसा लगता है कि उसका बहुत दम घुट रहा है।

इस नाक के मांसपेशियों का दूसरा लक्षण है कि मरीज को हमेशा जुकाम रहता है और मरीज की नाक हमेशा बंद रहती है। कभी-कभी मरीज को इतना जुकाम रहता है और उसकी नाक इतनी बंद रहती है कि यह नाक का गंदा पानी है, नाक के पिछली तरफ से होता हुआ मरीज के मुँह में पहुच जाता है। डॉक्टरी भाषा में इसे ‘पोस्ट नेजल ड्रिप’ भी कहा जाता है।

इस नाक के मांसपेशियों का तीसरा लक्षण है कि मरीज के सूजने की शमता को कम कर देता है या बिल्कुल खत्म कर देता है। एक खास बात यह है कि नाक के मांसपेशियों का इलाज हो जाने के बावजूद भी ऐसा हो सकता है कि मरीज के सूजने की शमता वापस नहीं आती।

इस मांसपेशियों की वजह से मरीज को चेहरे पर चारों ओर दर्द रह सकता है, सिरदर्द रह सकता है, उसे खराटे की शिकायत रह सकती है, और उसे आँखों में खुजली रह सकती है।

दोस्तों, अगर इस नाक के मांसपेशियों का इलाज समय पर नहीं किया जाए, तो यह कभी-कभी गंभीर परिणाम भी कर सकता है। जैसे कि अगर ये नाक के मांसपेशियों का बढ़ जाता है, तो कभी-कभी ऐसा होता है कि मरीज की नींद में सोते सोते बीच में सांस रुकने लगती है, जिसे डॉक्टरी भाषा में हम ‘अप्नोए’ भी कहते हैं।

इसके अलावा, अगर ये नाक के मांसपेशियों का बढ़ जाता है, तो यह आँखों पर इतना बुरा प्रभाव डालता है कि कभी-कभी मरीज को एक ही चीज दो दिखाई देने लगती है। इसे हम डॉक्टरी भाषा में ‘डबल विजन’ भी कहते हैं।

अब यह सवाल है कि ये नाक के मांसपेशियों का इलाज संभव क्यों होता है, और क्योंकि यह कुछ लोगों में होता है और कुछ लोगों में नहीं। असली बात यह है कि इसका असल कारण अब तक पता नहीं चल सका है, इसका असली कारण पता करने के लिए अभी तक रिसर्च और खोज जारी है। हालांकि बहुत सारे एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस नाक के मांसपेशियों का कारण यह है कि नाक में सूजन होती है, जिसके कारण नाक के अंदर बहुत सारा फ्लूड का प्रोडक्शन होता है। इस फ्लूड के प्रोडक्शन के कारण सूजन बढ़ जाती है और सूजन के कारण मांसपेशियों का बढ़ जाने लगता है।

जैसे कि अगर किसी व्यक्ति को एस्पेरिल से एलर्जी हो, अस्थमा हो, फंगस से एलर्जी हो, या फिर उसे हेवी फ़ीवर हो, सिस्टिक फाइब्रोसिस हो, या चर्ग-इस्ट्रोस सिंड्रोम हो, ऐसे लोगों में नाक के मास होने की संभावना दूसरों के मुकाबले ज़्यादा होती है। अब हम देखते हैं कि इस नाक के मास को या नेजल पॉलिप को कैसे डायग्नोस किया जाता है और कौन-कौन सी जाँचें की जाती हैं ताकि इसे पहचाना जा सके।

दूसरी जाँच है नेजल एंडोस्कोपी। इसके द्वारा नेजल पॉलिप देखा जा सकता है। दोस्तों, दूसरा है सिटी स्कैन। सिटी स्कैन में एक बड़ी मशीन में मरीज को लटकाया जाता है। उसके चेहरे की कुछ फोटोज ली जाती हैं। उन फोटोज से फ़िल्में बनाई जाती हैं। और उन फ़िल्मों में यह दिखाया जाता है कि जो नेजल पॉलिप या नाक का मास है, कितना बड़ा है, उसका कैसा आकार है, और वे कहां-कहां फैला हुआ हैं।

दोस्तों, अगला है एलर्जी टेस्ट। इस टेस्ट का मक्सद होता है कि पता लगाया जा सके कि मरीज को किन-किन चीजों से एलर्जी है। क्योंकि यही सभी चीज़ें मरीज के नाक के मास में सूजन का कारण बन सकती हैं।

दोस्तों, अब बात करते हैं कि इस नाक के मास या नेजल पॉलिप का इलाज कैसे किया जाता है। डॉक्टर सबसे पहले आपको नेजल इस्प्रेय या नेजल ड्रॉप देते हैं जिन में इस्टिरोइड होता है। यह इस्टिरोइड नाक में जाकर नाक की सूजन को कम कर देता है और नाक के मास के नेजल पॉलिप के आकार और साइज़ को रीड्यूस कर देता है।

दोस्तों, यह इस्टिरोइड की नेजल इस्प्रेय या नेजल ड्रॉप डॉक्टर उन मरीजों में देते हैं जिन में इस नाक के मास का आकार छोटा होता है और उनकी संख्या एक या दो में होती है। हालांकि इस इस्टिरोइड की नेजल इस्प्रेय के कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं, जैसे कि गले में खराश होना, सरदर्द होना, या कभी-कभी नाथ में खुँच आना। परंतु दोस्तों, यह बहुत ही कम लोगों में यह साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं और इस्टिरोइड की नेजल इस्प्रेय बहुत कॉमनली यूज़ होती है। कुछ उनके नाम मैं आपको बताऊंगा, जैसे कि फ्लूटिका सोन है, मुमेटा सोन है, बुरेसोनाईड है, बैकलोमीटा सोन है।

अगर किसी मरीज में नाक के मास का आकार बहुत बड़ा है या उनकी संख्या बहुत ज़्यादा है या नाक में बहुत ज़्यादा सूजन है, तो ऐसे मरीज को इस्टिरोइट की गोलियां या टैबलेट्स दी जाती हैं। इन टैबलेट्स या गोलियों को इस्टिरोइट की नेजल इस्प्रेट या नेजल डॉप के साथ दिया जाता है। ये टैबलेट्स या गोलियां सूजन को बहुत तेज़ी से कम करती हैं, नाक के मास का आकार को बहुत तेज़ी से कम करती हैं, और मरीज को बहुत तेज़ी से आराम पहुँचाती हैं।

दोस्तों, यह इस्टिरोइट की गोलियां या टैबलेट्स को लेने से मरीज का वजन बढ़ सकता है, यह एक सीरियस साइड इफेक्ट है, इसलिए इन टैबलेट्स को बहुत थोड़े समय के लिए लेना चाहिए। दोस्तों, बहुत ही कम रेयर केसेज में जब नाक में बहुत ज़्यादा सूजन होती है, तो इन इस्टिरोइट्स को डायरेक्ट ब्लड में भी दिया जा सकता है।

दोस्तों, नाक के मास या नेजल पॉलिप का इलाज मुख्यत: इस्टिरोइट से ही किया जाता है, परंतु मैं आपको यहाँ कुछ और दवाइयाँ भी बताऊंगा जो इसके ट्रीट्मेंट में इस्तेमाल होती हैं और एक सपोर्टिव ट्रीट्मेंट का काम करती हैं। इनमें पहला है एंटी हिस्टामिन्स जैसे कि सेटरिजीन, लेवोसेटिरिजीन, फेक्सोफेनाडिन। ये आपकी नाक की सूजन को कम करती हैं। दूसरा है एंटीबायोटिक्स। एंटीबायोटिक्स अगर नाक में कोई इंफेक्शन होता है तो उसको ख़त्म करती है। तीसरा है एंटीफंगल। यह कोई भी फंगल इंफेक्शन होने से नाक को बचाती है।

दोस्तों, अब अगर नेजल पॉलिप्स या नाक के मास का आकार बहुत बड़ा है और उस पर दवाइयों का कोई असर नहीं हो रहा है, तो इस नाक के मास का ऑपरेशन करना पड़ता है। डॉक्टर इस उपरेशन को “फ़ंक्शनल एंडोस्कोपिक साइनस सर्जरी” कहते हैं। दोस्तों, यह ऑपरेशन दूरबील से किया जाता है और इसमें कोई चीरा नहीं लगता है। इस ऑपरेशन में मरीज के नाँट में एक छोटी सी नली राली जाती है, उस नली के आगे कैमरा लगा होता है, और उस नली के सासर छोटी छोटी कैंचियाँ भी लगी होती हैं। उस कैमरे में देखकर इन छोटी छोटी कैंचियों के मदद से आपके नाँट के मास को काढ़ दिया जाता है, और पूरा निकाल दिया जाता है। दोस्तों, यह एक महत्पूर्ण तथ्य है कि ये जो नाक का मास है, ये नेजल पॉलिप्स हैं, वो आपको उपरेशन कराने के बावजूद वापस हो सकता है। मैं आपको यहाँ कुछ तरीके बताऊंगा, जिने अपना कर आप इस बिमारी को वापस होने से रोक सकते हैं। इसमें पहला है ऑपरेशन के बाद अक्सर डॉक्टर इस्टिरोइट की नेजल ड्रॉप या नेजल इस्प्रेय को कंटिन्यू करने को कहते हैं। आपको इस एडवाइस को फॉलो करना है। दूसरा है आप ब्राय और सूखे एन्वायरमेंट से बचें। उसके लिए आप इस्टिमाल कर सकते हैं। ये आपके नाक के अंदर जो सेल की परत है उसे घीला रखेगा और उसे सूखने से बचाएगा।

आप अपनी नाक को नौमल सलाइन से साफ़ करते रहें। डस्ट, स्मोकिंग, पुल्लूशन, जो भी चीज़ आपको नाक की अलर्जी करती है, आप उससे दूर रहें। अगर आपको अस्तमा है, तो आप उसे कंट्रोल में रखें और अस्तमा का प्रॉपर ट्रीट्मेंट लें। दोस्त रहें, सुरक्षित रहें, धन्यवाद।